बुधवार, 20 अप्रैल 2022

परिवार और साधना

ॐ श्री गुरुवे नमः

परिवार और साधना   

नमस्ते,

जब भी पारिवारिक व्यक्ति साधना शुरू करता है, तो उसका व्यक्तित्व बदलने लगता है। जैसे-जैसे मार्ग पर साधना शुरू होती है, उसकी पारिवारिक भागीदारी कम हो जाती है। उसका ध्यान पुरी तरह से बहार से अंदर की और हो जाता है, तो वह स्वार्थी दिखाई देने लगता है। 

इसी के साथ परिवार में एक असंतुलन शुरू हो जाता है। यह असंतुलन की वजह से परिवार से साधना में कुछ बाधा या विघ्न आता है। यह परिस्थिति को कैसे संभाला जाए।

यह परिस्थिति का जो मूल है, वह है असंतुलन तो आज उसको कैसे संतुलित रखा जा सकता है वह जानेंगे।

मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

कृपा के दर्शन

ॐ श्री गुरुवे नमः

कृपा के दर्शन  

नमस्ते,

कृपा : चमत्कारी प्रतीत होती घटना, अनपेक्षित कुछ अच्छी घटना होना, कारणहीन घटना   

अहंभाव : मैं,मेरा और कर्तापन की वृत्ति   

मनुष्य के जीवन में जब कोई ऐसी घटना होती है, जो उसकी समझ से बहार है, तो ही वह समझता है कि उस पर कृपा हुई है।

तो प्रश्न यह आता है की, कैसे मिले कृपा? क्या करू तो मुझ पर कृपा हो जाए?

तो आज इस के बारे में कुछ जानने का प्रयास करते है। 

अध्यात्म और कारण

ॐ श्री गुरुवे नमः

अध्यात्म और कारण

नमस्ते,

अध्यात्म : स्वयं के तत्व का अध्ययन

कारण : किसी घटना के लिए कोई और घटना को जिम्मेदार ठहराना

अस्तित्व : संपूर्णता, सब कुछ

जब व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चलना शुरू करता है, तो कभी ना कभी यह प्रश्न अवश्य व्यक्ति के मन में आता है, की वह कौन-सा कारण था कि मैं आध्यात्मिक मार्ग पर आया।  

किसी भी व्यक्ति का अध्यात्म की और झुकाव चाहे जिज्ञासा हो, या दुख हो, जब तक वह व्यक्ति साधक नहीं होता, वह इस के लिए क्या कारण है, उस में उलझा रहता है। जिज्ञासा का कारण क्या था, दुख का कारण क्या था।

अध्यात्म में कारण का क्या महत्त्व है, आज उसके बारे में जानेंगे। 

सोमवार, 11 अप्रैल 2022

जगत की वास्तविकता

 श्री गुरुवे नमः

जगत की वास्तविकता

नमस्ते,

जगत :  वस्तुओं का संग्रह जिसका अनुभव पंच ज्ञानेन्द्रियों से होता है    

वस्तुनिष्ठता : सब व्यक्तियों के अनुभव एकसमान है वह मान लेना, जैसे सब के पंचेन्द्रियों से होने वाले अनुभव में समानता होती है, एक सा दिखना, एक सा सुनाई देना, एक सी सुगंध आना, एक सा खाने का स्वाद और एक सा स्पर्श का अनुभव।

व्यक्तिनिष्ठ : जो व्यक्ति की इंद्रिया बताती है उस का अनुभव।  जैसे किसी की आँखों मे खराबी है तो उस को वह नहीं दिखाई देगा जो उस व्यक्ति को दिखाई देता है जिसकी आखें खराब नहीं है।

किसी भी नये साधक या आम व्यक्ति का, सब से बड़ा भ्रम, यह होता है कि जो भी जगत मे दिखाई पड़ता है, वह वास्तविक है।

आज जगत की वास्तविकता के बारे मे कुछ जानेंगे।